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राजस्व न्यायालय और न्यायिक संरक्षण

 *****सिविल न्यायालयों को न्यायिक संरक्षण,***** यह मुद्दा पिछले कई बर्षों से चल रहा है, एक दिवस पूर्व मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर सिविल न्यायालयों को न्यायिक संरक्षण की बात दोहराई  गई है, हालाँकि यह नई बात नहीं है यह पूर्व से ही कानून में दिया गया है बस पुलिस अधिकारियों के द्वारा इसकी व्याख्या अपने तरीके से की जाती थी, क्या होता है न्यायिक संरक्षण, इस पर मैं अभी ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा इसके लिए आप गूगल कर सकते हैं या यूं समझ सकते हैं कि जैसे जिला या अन्य सभी न्यायालयों में न्यायाधीश को जो अधिकार या संरक्षण दिया जाता है राजस्व अधिकारी भी वैसा ही  कुछ आंशिक रूप से चाहते हैं । मतलब सरल भाषा मे कहें तो उनके द्वारा दिये गए निर्णय के विरुद्ध अपील तो हो सकती है पर कानूनी कार्यवाही जैसे FIR नहीं,(इस विषय को कभी विस्तार से लिखूंगा) पहली बात तो यह क्या राजस्व न्यायालय सच मे न्यायालय हैं, तो हाँ यह महज़ प्रशासनिक अधिकारी  ही नहीं हैं,  उन्हें प्रशासनिक के साथ साथ न्यायिक अधिकार भी होते हैं यही इस कैडर का आकर्षण भी है जो PSC की तैयारी और उसमे सबसे ऊपर इसक...

गेंहूँ और इंसान की जीवन यात्रा

 आज लंबे समय बाद अपने खेत पर पिताजी के साथ जाना हुआ, इस समय गेंहूँ की फसल खड़ी है, कुछ खेतों के गेंहूँ कट चुके हैं तो कुछ खेतों के गेंहूँ पक कर कटने के इंतजार में हैं,वहीं कुछ अभी पकने के इंतजार में हैं जो अब तक हरे हैं, शायद देरी से बोने के कारण कुछ गेंहूँ अपना समय चक्र पूरा नहीं कर पाए, इन गेहूं को देखकर पूरी जीवन यात्रा याद आगयी कैसे 'बीज से बीज बनने तक सफर ' गेंहूँ तय करता है,इसी सफर में कभी टूटता है, कभी जलता है ,कभी ओले या अन्य आपदाओं से नष्ट होता है ,तो कभी किसी के कर्ज से घटता- बढ़ता है, गेंहूँ को कर्ज पटाना होता है ,अपने मालिक का, कभी पेट भरकर ,कभी अपने को बेच कर, कभी कभी आंदोलन में दिखने भी जाना होता है। जैसे इंसान अपनी यात्रा तय करता है विल्कुल वैसे ही, कुछ की यात्रा पूरी हो चुकी,कुछ अंतिम चरण में हैं,तो कुछ ऐसे हैं जो अभी इंतजार में हैं,जो इंतजार में हैं उन्हें डर है और सबके साथ आगे बढ़ने की छटपटाहट भी,डर इसका कि ओले,तूफान उन्हें विना दुनिया मे योगदान दिए नष्ट न करदें ,छटपटाहट इसका कि मेरे परिवर का दूसरा मुझसे आगे कैसे निकला, ऐसा न हो आगे वाला खाने के काम मे आये और पुण...

कोरोनाकाल में शिक्षा

वर्तमान समय में पूरे देश भर के सभी शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद है यह जरूरी भी है शायद समय की मांग है शिक्षण संस्थानों को हमें बंद रखना ही होगा पर वहीं कई लोग चाहते हैं कि हमें जनरल प्रमोशन देकर प्रमोट कर दिया जाए तो वहीं कई लोग चाहते हैं कि नहीं संस्थान खोले जाएं परीक्षाएं भी हो और क्लास भी हो कई शिक्षक भी चाहते हैं कि संस्थाओं को बंद रखा जाए खास कर वो टीचर जिन्हें रेगुलर वेतन मिल रहा है जो शासकीय विभागों में हैं या जो प्राइवेट नहीं है, जो प्राइवेट है जिनका रेगुलर वेतन नहीं है या जिनकी   कोचिंग संस्थान हैं वो चाहते हैं कि खोला जाए  और कुछ प्रतिबंधों के साथ सोशल डिस्टेन्स के तहत उन्हें बेसे ही अनुमति दी जाए जैसे धार्मिक स्थल या रेस्टोरेंट को दी गयी,यह एक अलग बहस है कि इसे खोला जा सकता है या नहीं खोला जा सकता ,पर एक बात तय है कि इस समय में देश में सभी लोगों की शिक्षा प्रभावित हो रही है चाहे प्राइमरी स्कूल एजुकेशन हो या हायर एजुकेशन हो इससे निबटने के लिए अलग-अलग लेवल पर सरकारों द्वारा शिक्षकों द्वारा अलग-अलग तरीके चलाए जा रहे हैं हम देखते हैं ऑनलाइन क्लास आयोजित की जा रही...